सच्चा प्यार मुझे मिला नहीं
वो मगरूर है, इस बात का गिला नहीं
गिला है इतना, सच्चा प्यार मुझे मिला नहीं।
बेवफाई उसकी फितरत ही सही
वफा का कतरा भी उसमें मिला नहीं।
ज़र को ही जमीर सम्झता रहा वो
यारों में गद्दार उससा मिला नहीं।
हलाल कर दिया यकीं पल में उसने
संगदिल उससा जहां में मिला नहीं।
‘दुर्गेश’ लुटता रहा दोस्ती की खतिर
लुटेरा उससा खालिस कोई मिला नहीं।