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22 Jul 2018 · 1 min read

सच्चा धन

खुले ज़िस्म के बाजारों में
जिसने बेंचा ज़मीर नहीं,
मेरी नज़रों में इस दुनिया में
कोई उससे बड़ा अमीर नहीं।

गर ऐसा कोई सख्स मिले
तो उसकी कीमत तोल नहीं हैं।
जो बिका नही बाज़ारों में,
यहाँ उसका कोई मोल नहीं।

सच्चा धन (कविता)-सर्वाधिकार सुरक्षित,
स्व-रचित, द्वारा राजेन्द्र सिंह

Language: Hindi
294 Views
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