” सच्चाई “
” सच्चाई ”
दर्द खुशनसीब है
दौलत बदनसीब है
दर्द पाकर इंसान
अपनों को याद करता है
दौलत पाकर इंसान
अपनों को भूल जाता है।
” सच्चाई ”
दर्द खुशनसीब है
दौलत बदनसीब है
दर्द पाकर इंसान
अपनों को याद करता है
दौलत पाकर इंसान
अपनों को भूल जाता है।