सच्चाई रोने लगी
सच्चाई रोने लगी, हँसता देखा झूठ।
फिर भी सबकुछ जानकर, बने खड़े हैं ठूँठ।।
बने खड़े हैं ठूँठ, हृदय में चोर भया है।
मानुष का व्यवहार, पतन की ओर गया है।।
बेटा मारे बाप, और भाई को भाई।
पैसा है भगवान, यही कड़वी सच्चाई।।
विवेक प्रजापति ‘विवेक’