सचिन… सचिन
अलविदा क्रिकेट कहते हुये तुम संतुलन से भरे थे
भावनाओं को पकड़ के संयम से खड़े थे ,
पर वो तो दिल से आँखों के रास्ते सरक गई
और हम सभी के दिलों को दरक गई ,
क्या कहूँ क्या लिखूँ
शब्द तर – ब – तर हैं
तुम्हारे अलविदा को पचाने में
हृदय लगा ना की उदर है ,
तुम बेमिसाल
तुम कमाल ,
तुम अजब
तुम गजब ,
तुम शानदार
तुम जानदार ,
तुम अतुलनीय
तुम अकल्पनीय ,
तुमने साल – दर – साल
गढ़े नित नये पैमाने
पाँकेट से तुम्हारे निकलते थे रन
अपने प्रतिद्वंद्वीयों को छकाने ,
तुमने दिया क्रिकेट को एक नया आयाम
बनाया अपने लिएबहुत ऊँचा मुकाम ,
तुम्हारी उपलब्धियों का उच्च शिखर
इनको छुने में सब जाये ना बिखर ,
जितना कड़क तुम्हारा खेल
उतने ही विनम्र तुम
नही तुम्हारा किसी से कोई मेल ,
तुम हो फलों से लदे वृक्ष के समान
जितना झुकते हो
चढ़ते हो और ऊँचा आसमान ,
आने वाली पीढ़ियों की मिसाल हो
तुम सच में वाकई धमाल हो ,
तुम्हारा बेशूमार हुनर अपार
हमारी उम्मीदों को लगाया पार ,
तुमने दीं खुशियाँ बार – बार
बिन दिवाली , दिवाली का त्योहार ,
इसिलिए तो देश ने दिया तुमको
भारतरत्न का शानदार उपहार ।
स्वरचित एवं मौलिक
(ममता सिंह देवा , 18/11/ 13 )