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10 Jan 2021 · 1 min read

सखी छाया बसंत है

पोर पोर चहुंओर, सखी छाया बसंत है
शांत चित्त व्यग्र हुआ, कामना अनंत है
बाबरे इन नैनों में, चंचलता आ गई
प्रियतम सांवरिया की, सुरतिया समा गई
कोयलिया बोल रही, मन मोर नाच रहा
पीहू पीहू आजा, पपीहा पुकार रहा
भीनी भीनी सुगंध, बसंती मन मोह रही
बंसी की मधुर तान, कानों में गूंज रही
झूम रहे तरु पल्लव, पायल सी छनक रही
अंग अंग फरकत है, नृत्य सृष्टि कर रही

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
5 Likes · 8 Comments · 411 Views
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