सखि आया वसंत
सखि वन में खिले अमलतास
खुशबू उनमें है खास
रंग उसका सुनहरा
पेड़ है हरा भरा
नाच उठा मन भ्रमरा
टूट गया भ्रम हमरा
सखी उपवन में गुलमोहर की बहार
भंवरे गुंजन करें बार-बार
फूलों से लें उनका सार
हर्षित है सारा संसार
पंछियों की कलरव की झंकार
आती मधुर पपीहा की पुकार
सखी आम्र शाखों पर कोयल की कूक प्यारी
सभी पंछियों से लगती न्यारी
चकवा को चकवी प्यारी
चंद्रमा को निहारे रात सारी
ओम् न आए अबकी बारी
विरहिन तरसे प्रेम की मारी
ओमप्रकाश भारती ओम्
बालाघाट मध्यप्रदेश