सकारात्मक सोच
प्राय: जीवन में मिलने वाले दुःख असफलताएं हमें निराशा और नाउम्मीदयों से भर देती है वहीं हमारे जीवन की गतिशीलता को भी पूर्णता अवरुद्ध कर देती हैं जो कि किसी भी रूप में उचित नहीं, इसलिए बहुत आवश्यक है कि विपरीत परिस्थितियों में संयम से काम लें और अपनी समारात्मक सोच से हम अपने दुःख पर अपनी असफलाताओं पर नियन्त्रण करके, अपनी सफलता के मार्ग को प्रशस्त करें।
अपने अंदर उत्साह का संचार करे परिस्थितियां कैसी भी हो मुस्कुराना सीखें, ज़िन्दगी को जीना सीखें ज़िन्दगी के प्रति अपनी सोच सदैव सकारात्मक रखें ,ज़िन्दगी के प्रति आपका लगाव, उत्साह आपके प्रत्येक कार्य में दिखाई देना चाहिए, अपने जीवन में घटने वाली हर दुःखद घटना को अपनी असफलताओं और अपनी कमज़ोरियों को किसी भी परिस्थिति में अपने ऊपर हावी न होने दे अपने आत्मविश्वास को हर विपरीत परिस्थितियों में बनाये रखें, यकीन मानिए आपका स्वयं पर पूर्ण विश्वास होना ही आपको बिना किसी सहायता के हर विपरीत परिस्थिति से निकालने की क्षमता रखता है, अपनी ज़िंदगी में सहजता, स्वाभाविकता को स्थान दें, इससे आपकी जिन्दगी भी आसान होगी और आप अपनी ज़िन्दगी को अच्छे से जी भी सकेंगे स्वयं को हमेशा अहंकार, परनिंदा आदि जैसे अवगुणों से दूर रखें , साथ आपके कुछ नहीं जाने वाला बाकी रह जाएगा तो बस आपका दूसरों के साथ किया गया अच्छा व्यवहार एक अच्छी याद के रूप में लोगों के दिलों में हमेंशा ज़िंदा रहेगी, प्रयास करें कि कभी भी आपके अंदर की इंसानियत खत्म न होने पाये,बच्चों से प्यार करना सीखें तो कमज़ोर,असहाय जनों की सहायता के लिए हमेशा आगे रहें अपने बुज़ुर्गो की सेवा करें दूसरों के काम आने का प्रयास करें, अपनी सोच को तार्किक रखें वहीं सही ग़लत में अंतर करना भी सीखें, अपने दृष्टिकोण को सदैव सकारात्मक रखें सदैव अपने अंदर की आवाज़ को सुने जिसे हम ज़मीर भी कहते हैं, और इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि आप स्वयं भी कभी भी अपनी इच्छाओं को अपनी खुशियों को नज़र अंदाज़ न करें, क्योंकि जब तक हम स्वयं संतुष्ट नहीं होंगे तब तक हम संतुष्ट समाज का निर्माण भी नहीं कर सकते हैं, दूसरों का ख़्याल रखने के साथ अपना भी ख़याल रखिए, अपने अंदर के शौक़ को कभी मरने मत दीजिए आप हैं तभी ये ज़िन्दगी है और ये तभी खूबसूरत होगी जब आप खुश और संतुष्ट होंगे।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद