*संस्मरण*
संस्मरण
आधे घंटे में बैनर बनकर तैयार हो गया
30 जून 2024 रविवार। शाम के चार बजे थे। मैं सपत्नीक एम आई टी सभागार, रामगंगा विहार, निकट सॉंई मंदिर, मुरादाबाद में प्रविष्ट हुआ। डॉ अर्चना गुप्ता जी की दो पुस्तकों बाल काव्य संग्रह ‘अक्कड़ बक्कड़’ तथा गजल संग्रह ‘होती रहीं चॉंद से बातें हमारी’ का लोकार्पण था।
कार्यक्रम का समय चार बजे था। भीतर चार-पांच लोग उपस्थित थे। डॉक्टर पंकज दर्पण अग्रवाल मंच के पीछे दीवार पर दोनों पुस्तकों के पोस्टर चिपकाने में व्यस्त थे। हमारे सुपरिचित थे। रामपुर में हमारी एक पुस्तक के लोकार्पण का सौभाग्य हमें आपके कर-कमलों से प्राप्त हुआ था।आप राष्ट्रीय ख्याति के रामलीला तथा अग्रलीला निर्देशक हैं ।डॉक्टर अर्चना गुप्ता जी भी मंच के नीचे टहल रही थीं । एक अपरिचित सज्जन पांडे जी थे। जब बातचीत हुई तो वह सुपरिचित निकल आए। रामपुर में अचल राज पांडेय जी (सेवानिवृत्त स्टेट बैंक मैनेजर) तथा कवि/ प्राध्यापक डॉक्टर रघुवीर शरण शर्मा (पूर्व प्राचार्य डिग्री कॉलेज) आपके रिश्तेदार थे। बस फिर क्या था, अपनत्व की सुगंध सभागार में फैल गई।
डॉक्टर अर्चना गुप्ता जी कुछ परेशान दिखीं। कहने लगीं कि यह जो मंच के पीछे पुस्तकों के पोस्टर लगाए जा रहे हैं, वह वास्तव में मंच के आगे लगने थे। मंच के पीछे टॅंगवाने के लिए हमने एक बड़ा बैनर बनवाया था। आज रविवार होने के कारण बैनर वालों की दुकान बंद है। बैनर तैयार हुआ रखा है। लेकिन दुर्भाग्य से बैनर वाले सज्जन भी मुरादाबाद से बाहर हैं। मजबूरी में काम चलाना पड़ रहा है।
आपकी बात सही थी। वास्तव में बैनर से कार्यक्रम की शोभा द्विगुणित हो जाती है। कार्यक्रम किस संदर्भ में है, यह भी फोटो देखकर ही पता चल जाता है तथा उसकी दिनांक भी हमेशा याद रहती है। खैर,समय धीरे-धीरे गुजरता जा रहा था।
इसी बीच कविवर दुष्यंत बाबा जी सभागार में पधारे। आप नवयुवक हैं। पुलिस विभाग में कार्यरत हैं। अर्चना गुप्ता जी ने अपनी समस्या दुष्यंत बाबा जी को बताई। मोबाइल पर बैनर का प्रारूप देखकर दुष्यंत बाबा जी ने कहा कि बैनर बन जाएगा। यह भी बताया कि बैनर वाला सबसे दस रुपए का रेट लेता है। हमसे सात रुपए लेता है। अर्चना जी ने तुरंत कहा कि बात पैसों की नहीं है, बस काम हो जाए।
दुष्यंत बाबा जी बैनर बनवाने के लिए चले गए। जब लौटे तो शाम के पॉंच बजे थे। उनके हाथ में बैनर था। कविवर राजीव प्रखर जी पुस्तक-समीक्षा मंच पर पढ़ रहे थे। समीक्षा पूरी होने से पहले ही दुष्यंत बाबा जी ने पांडे जी तथा मयंक शर्मा जी के सहयोग से बैनर टांग दिया। फिर सारा कार्यक्रम बैनर के साथ संपन्न हुआ। जो परेशानी बैनर न होने से आ गई थी, वह समय रहते ही छूमंतर हो गई।
उसके बाद पुस्तक का विमोचन भी बैनर सहित हुआ। तमाम फोटो में चार चांद लग गए। मुख्य अतिथि विधान परिषद सदस्य गोपाल अंजान जी ने जोरदार भाषण भी दिया। कहा कि साहित्यिक कार्यक्रम छोटे से सभागार की बजाय जन-जन से जोड़कर बड़े मैदान में होने चाहिए। अध्यक्षता कर रहे मशहूर शायर मंसूर उस्मानी साहब ने सभागार में उपस्थित समुदाय को मुरादाबाद के साहित्यिक समाज के इत्र की संज्ञा दी और कहा कि हजारों फूलों से बड़े-बड़े बर्तनों में जो खुशबू एकत्र करके एक छोटी-सी शीशी में इत्र के रूप में ढाल दी जाती है; आज यह उपस्थित साहित्यिक समाज इसी प्रकार से अत्यंत मूल्यवान है। समारोह के मंच पर हरिश्चंद्र महाविद्यालय मुरादाबाद के प्रबंधक काव्य सौरभ जैमिनी, साहित्यपीडिया के संचालक अभिनीत मित्तल जी, पंकज दर्पण अग्रवाल जी तथा डॉक्टर अर्चना गुप्ता जी विराजमान थे। कार्यक्रम शुरू होने से पहले डॉक्टर अर्चना गुप्ता जी एक-आध कुर्सी मंच पर बढ़ाना चाहती थीं लेकिन सभागार की सभी कुर्सियॉं जमीन से पेचों से कसी हुई थीं।
आधे घंटे में तुरत-फुरत बैनर तैयार करके टॉंग देने की ऑंखों देखी चमत्कारी घटना के कारण यह कार्यक्रम हमेशा याद रहेगा।
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लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451