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24 Mar 2024 · 2 min read

*संस्मरण*

संस्मरण
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साठ-सत्तर के दशक में रामपुर में सिनेमाघर
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साठ-सत्तर के दशक में रामपुर शहर में तीन सिनेमाघर हुआ करते थे। नाहिद, माला और कारोनेशन।

हमारे घर बाजार सर्राफा से कारोनेशन टॉकीज सबसे पास था। बाजार सर्राफा से तोपखाना गेट तक का पैदल का रास्ता था। नाहिद और माला गॉंधी समाधि के पास थे। मिस्टन गंज से गांधी समाधि की तरफ जाने पर नाहिद सिनेमा थोड़ा पहले पड़ जाता था। नाहिद से बॉंई ओर मुड़ने पर माला टॉकीज पड़ता था।

तीनों सिनेमाघरों में बालकनी थी। बालकनी में जाने के लिए अलग जीना होता था। जीना चढ़कर दर्शक जाते थे। बालकनी में कम ही सीटें होती थीं। बालकनी का टिकट महंगा पड़ता था। लेकिन फायदा यह था कि सबसे पीछे बैठकर सिनेमा देखने का आनंद लिया जा सकता था। इससे आंखों पर भी जोर कम पड़ता था। बालकनी का टिकट महंगा होने के कारण समृद्ध परिवारों के लोग ही इसमें बैठे हुए नजर आते थे। ज्यादातर जान-पहचान के लोग मिल जाते थे।

सिनेमाघरों में जनरेटर की सुविधा नहीं थी। एक बार जब हम कोरोनेशन टॉकीज में पिक्चर देखने गए तो शो के बीच में लाइट चली गई। लाइट जाते ही फिल्म का प्रदर्शन रुक गया। गर्मी के दिन थे। बालकनी में और भी ज्यादा गर्मी होने लगी। सब लोग बालकनी से निकलकर जीने के रास्ते सिनेमा परिसर में टहलने लगे। थोड़ी देर बाद लाइट आई। सारे दर्शक झटपट अपनी-अपनी सीटों पर जाकर बैठ गए। फिल्म पहले की तरह आनंदपूर्वक चलने लगी। मगर बिजली की आंखमिचौली उन दिनों आम थी। कुछ देर बाद पुनः बिजली चली गई। फिर वही हंगामा। लोग पिक्चर हॉल की अपनी-अपनी सीटों से उठकर बाहर आए। कुछ देर टहले।
अक्सर ऐसा होता था कि लाइट जल्दी आ जाती थी। कई बार लाइट का इंतजार जरूरत से ज्यादा समय तक करना पड़ता था। कुछ लोग पिक्चर बीच में अधूरी छोड़कर इसलिए चले जाते थे कि लाइट का कब तक इंतजार किया जाए ? कुछ लोग बैठे रहते थे। पिक्चर हॉल की अपनी मजबूरियां होती थीं ।

कई बार फिल्म की रील घिसी-पिटी आ जाती थी। उसमें फिल्म के दृश्य बहुत धुंधले चलते थे। बालकनी में बैठे हुए लोग तो फिर भी चुप रहते थे, लेकिन ग्राउंड फ्लोर पर शोर कुछ ज्यादा ही मचता था। सिनेमाघर के संचालक ऐसी स्थिति में कुछ भी कर सकने की स्थिति में नहीं होते थे।

फिर भी कुल मिलाकर यह तीनों सिनेमाघर जनता के मनोरंजन के अच्छे साधन थे। इनमें नई-नई फिल्में भी आती थीं । अनेक बार पुरानी फिल्मों का प्रदर्शन भी दोहराया जाता था।
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लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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