*अध्यापक महोदय के ऑनलाइन स्थानांतरण हेतु प्रबंधक की अनापत्ति*
अध्यापक महोदय के ऑनलाइन स्थानांतरण हेतु प्रबंधक की अनापत्ति
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मैं एक अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय सुंदर लाल इंटर कॉलेज,रामपुर(उ.प्र.) का प्रबंधक हूँ। प्रबंधक के नाते मेरे पास यदा-कदा कुछ कार्य विभाग द्वारा सौंप दिए जाते हैं । अन्यथा नीतिगत मामलों से लेकर रोजमर्रा के कार्य-व्यवहार के समस्त कार्य विभागीय गति से स्वत: गतिमान रहते हैं ।
सत्रह जुलाई 2021 शनिवार को मेरे पास विद्यालय से प्रधानाचार्य श्री संजय यादव जी का फोन आया । कहने लगे “हमारे विद्यालय के अध्यापक राम जनक वर्मा जी अपना स्थानांतरण चाहते हैं । उन्होंने ऑनलाइन आवेदन किया है । आपके पास उन्हें जब कहें, भेज दें। आप चीजों को समझ लीजिएगा ।”
मैंने कहा “आज और कल तो लॉकडाउन लगा हुआ है । परसों सोमवार को आप ग्यारह बजे उन्हें मेरी दुकान पर भेज देना । मैं उनका विषय समझ लूंगा।”
प्रधानाचार्य जी ने कहा “ठीक है ।” तदुपरांत बातचीत समाप्त हो गई । मैं घर पर ही था । बैठे-बैठे एकाएक विचार आया कि इस समय ऑनलाइन प्रक्रिया किस प्रकार चल रही है तथा इसकी वस्तुस्थिति क्या है, यह भी पता चल जाएगा तथा विद्यालय का एक चक्कर भी लग जाएगा । कोरोना-काल को एक तरफ रख कर मैंने मुख पर मास्क बाँधा और दो-चार मिनट के भीतर ही मैं पैदल चलकर विद्यालय पहुँच गया ।
राम जनक वर्मा जी प्रधानाचार्य जी के साथ प्रधानाचार्य-कक्ष में बैठे हुए थे । वर्ष 2015 में आपने सामाजिक विज्ञान विषय के सहायक-अध्यापक के रूप में हमारे विद्यालय में ज्वाइन किया था। बस्ती के रहने वाले थे । अब पुनः बस्ती जिले के ही किसी घर से निकटवर्ती विद्यालय में स्थानांतरण के लिए प्रयत्नशील थे। मैंने उनके पत्राजात देखे । आज ही ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि थी और अब तीन दिन के भीतर मुझे उनके प्रकरण में निर्णय लेकर, यदि उचित हुआ तो ,अनापत्ति सहित आवेदन को अग्रसारित करना था । अर्थात परसों तक कार्यवाही पूरी होनी थी।
मैंने विभागीय पद्धति पर आपत्ति की और कहा ” इतना कम समय प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए दिया जाना अनुचित है। यह तब और भी अनुचित हो जाता है ,जब प्रबंधक को ऑनलाइन पद्धति से आवेदन-पत्र पर निर्णय लेकर आगे बढ़ना हो । हमें ऑनलाइन का अभ्यास नहीं है। विभाग ने कोई प्रशिक्षण भी नहीं दिया है ।”
अध्यापक महोदय यह सुनकर जहाँ एक ओर कुछ परेशान-से हुए ,वहीं इस बात से सहमत थे कि विभाग बहुत जल्दबाजी में चीजों को शुरू करता है और समय बिल्कुल नहीं देता ।
मैंने कहा “मुझे आपके प्रकरण को पढ़ना पड़ेगा । ” करीब आठ-दस पेज का उनका प्रकरण था । प्रिंसिपल साहब भी विद्यालय से जाने की शीघ्रता में थे। मैंने कहा “बाद में आपको निर्णय से अवगत करा दूँगा।”
अध्यापक महोदय का कहना था कि वह कंप्यूटर पर सारा काम करा देंगे । केवल आपको ओटीपी तथा एक-दो आवश्यक जानकारियां देनी होंगी ।
मैंने कहा ” फिर भी जिम्मेदारी तो सारी मेरी ही रहेगी ।अतः समझने का दायित्व मेरे ऊपर है ।”
वह सहमत थे। बातचीत टल गई । मैं घर वापस आ गया । शाम को मैंने प्रधानाचार्य जी को फोन किया। इस बीच मैंने सारे पत्राजातों का अध्ययन कर लिया था तथा इस निष्कर्ष पर पहुँच चुका था कि अगर मैंने ऑनलाइन प्रक्रिया के प्रति मीन-मेख निकाली अथवा उसके प्रति असहज हुआ तो उसका खामियाजा हमारे अध्यापक महोदय को ही उठाना पड़ेगा और उनका स्थानांतरण खटाई में पड़ सकता है । मैं यह कदापि नहीं चाहता था कि मेरे कारण किसी अध्यापक को आपने गृह जनपद में स्थानांतरित होने के लाभ से वंचित होना पड़े। मैंने प्रधानाचार्य जी से फोन पर कहा – “आप राम जनक वर्मा जी से बात कर लीजिए । वह किसी कंप्यूटर-विशेषज्ञ को लेकर विद्यालय में कल आ जाएँ और उनका कार्य कल ही पूरा कर दिया जाएगा क्योंकि परसों न मालूम कौन-सी दिक्कत सामने आ जाए और यह कार्यवाही का अंतिम दिन कहीं बीत न जाए । ”
प्रधानाचार्य जी ने आधे -एक घंटे के बाद ही मुझे फोन करके बताया कि उनकी बातचीत हो गई है। वर्मा जी कंप्यूटर-विशेषज्ञ को लेकर कल रविवार दोपहर ग्यारह बजे विद्यालय में आ जाएंगे।
रविवार दोपहर ग्यारह बजे मैं विद्यालय पहुंच गया । राम जनक वर्मा जी और प्रधानाचार्य जी कंप्यूटर विशेषज्ञ के साथ उपस्थित थे । कंप्यूटर विशेषज्ञ हमारे विद्यालय के पुराने परिचित थे। वर्तमान में यह एक अन्य इंटर कॉलेज से संबंद्ध थे। मैंने उनके निकट बैठकर लैपटॉप पर कदम – दर – कदम प्रक्रिया पूरी करवाई । यद्यपि यह कार्य उतना आसान नहीं था ,जितना मैं समझ रहा था । बीच में एक बार तो मामला विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए पासवर्ड पर आकर अटक गया । प्रक्रिया उस पासवर्ड से आगे नहीं बढ़ पा रही थी । ऐसे में अन्य साधनों से उपलब्ध एक अन्य पासवर्ड का प्रयोग कंप्यूटर-विशेषज्ञ महोदय ने किया और हमारी प्रक्रिया को सिस्टम ने एक्सेप्ट कर लिया ।
जब प्रबंधक द्वारा संबंधित अध्यापक के स्थानांतरण प्रार्थना पत्र पर अनापत्ति को ऑनलाइन सिस्टम ने स्वीकार कर लिया ,तब यह मेरे लिए बहुत बड़ी राहत का क्षण था। मैंने कंप्यूटर-विशेषज्ञ महोदय को उनके सुयोग्य चातुर्य के लिए धन्यवाद दिया। सहायक अध्यापक श्री राम जनक वर्मा को उनके उज्जवल भविष्य की कामना के साथ बधाई दी । तत्पश्चात प्रधानाचार्य महोदय से विदा लेकर मैं अपने घर वापस आ गया।
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लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451