संस्कार
संस्कारों का खजाना
होते हैं
माता पिता और
दादा दादी नाना नानी
संस्कार होते हैं
अनमोल
जबकि खर्च होता नहीं
कुछ भी
संस्कार पहचान है
एक सुसंस्कृत परिवार के,
सुसंस्कृत बच्चो के
वर्षों तक याद रहते है
सुसंस्कृत संबंध
बडो की इज्जत
संयमित बोल ही हैं संस्कार
जब हम
अच्छी भाषा में
बात करेंगे
बच्चों से
बस संस्कार
उन्हें मिलते जाऐंगे
मूल मंत्र है संस्कार का
संस्कारकार बनें
संस्कारवान बनाऐ
संतोष श्रीवास्तव भोपाल