संस्कार
संस्कारों के कारण ही ,
मानव जन्म विशेष है ।
पेट प्रजनन संग्रह गुण,
सब प्राणियों में एक है ।
संस्कारों के ही बल पर,
इंसान सभी से श्रेष्ट है ।
संस्कार ही सिखलाते ,
देव दनुज में भेद है ।
संस्कार हीन यदि जीवन,
समझो पशुता शेष है ।
संस्कार की पाठशाला,
परिवार ही कहलाता है ।
सामाजिक व्यवहार सब,
परिवार ही सिखलाता है ।
प्रेम भाव मर्यादा पालन,
मानव धर्म विशेष है ।
संस्कारों में मानवता ,
कर्म रूपी गीता है ।
संस्कारित मानव परिवेश
देव तुल्य जीवन जीता है ।
राजेश कौरव सुमित्र