“नहीं मानुंगा किसी से हार”
“नहीं मानुंगा किसी से हार”
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बोलो अब एक दो तीन चार,
मैं खुद कर लूंगा ब्रिज पार,
नही मानूंगा किसी से हार,
मम्मी पापा मुझे करते प्यार,
मेरे भाई को चाहिए एक कार,
मैं नहीं खिलवाता उसे मार,
मैं कभी छूता नही कोई तार
यही है हमारा अपना संस्कार।
……✍️
प्रांजल
कटिहार।