Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Feb 2024 · 1 min read

*संस्कारों की दात्री*

टूटती जब हर इक आस है
माँ ही होती मेरे पास है
प्यार से मुझको सहलाती वो
मेरा हर लेती संत्रास है

जब भी सपनो में आती है माँ
मुझको ढाढस बंधा जाती है
मेरी चिंता, सभी दुःख मेरे
साथ अपने वो ले जाती है

दोस्त बन जाती थी वो मेरी
संग घंटो वो बतियाती थी
अपने दुःख, सारी तकलीफ़ वो
भूलकर , गाती- मुस्काती थी

आज भी मेरे मन में बसी
प्यार-ममता की मूरत है वो
सब बलाओं से रखती बचा
जैसे टीका नज़र का है वो

मेरे बचपन की थाती है वो
मेरे जीवन की बाती वही
मुझको मानव बनाकर गयी
संस्कारों की देकर बही
…………

Language: Hindi
5 Likes · 3 Comments · 1520 Views
Books from Poonam Matia
View all

You may also like these posts

जीवित रहने से भी बड़ा कार्य है मरने के बाद भी अपने कर्मो से
जीवित रहने से भी बड़ा कार्य है मरने के बाद भी अपने कर्मो से
Rj Anand Prajapati
श्राद्ध पक्ष मे मान
श्राद्ध पक्ष मे मान
RAMESH SHARMA
!! शेर !!
!! शेर !!
डी. के. निवातिया
*वह भाग्यहीन हैं महिलाऍं, पति की चेरी कहलाती हैं (राधेश्यामी
*वह भाग्यहीन हैं महिलाऍं, पति की चेरी कहलाती हैं (राधेश्यामी
Ravi Prakash
नारियल पानी ठेले वाला!
नारियल पानी ठेले वाला!
Pradeep Shoree
संवेदना सुप्त हैं
संवेदना सुप्त हैं
Namrata Sona
आग पानी में लगाते क्यूँ हो
आग पानी में लगाते क्यूँ हो
Shweta Soni
तोड़ूंगा भ्रम
तोड़ूंगा भ्रम
Shriyansh Gupta
विधि का विधान ही विज्ञान
विधि का विधान ही विज्ञान
Anil Kumar Mishra
Childhood is rich and adulthood is poor.
Childhood is rich and adulthood is poor.
सिद्धार्थ गोरखपुरी
"" *जीवन आसान नहीं* ""
सुनीलानंद महंत
*** पल्लवी : मेरे सपने....!!! ***
*** पल्लवी : मेरे सपने....!!! ***
VEDANTA PATEL
ग़ज़ल _ नसीबों से उलझता ही रहा हूँ मैं ,,
ग़ज़ल _ नसीबों से उलझता ही रहा हूँ मैं ,,
Neelofar Khan
"चुम्बन"
Dr. Kishan tandon kranti
नदी का किनारा ।
नदी का किनारा ।
Kuldeep mishra (KD)
चलो मौसम की बात करते हैं।
चलो मौसम की बात करते हैं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
रजनी छंद (विधान सउदाहरण)
रजनी छंद (विधान सउदाहरण)
Subhash Singhai
भाषा और व्याकरण (Language and grammar)
भाषा और व्याकरण (Language and grammar)
Indu Singh
तुमसे दूर इस उदास शहर में, उस सूखती नदी के किनारे पर बैठा हु
तुमसे दूर इस उदास शहर में, उस सूखती नदी के किनारे पर बैठा हु
पूर्वार्थ
तुम मेरा हाल
तुम मेरा हाल
Dr fauzia Naseem shad
आत्म अवलोकन कविता
आत्म अवलोकन कविता
कार्तिक नितिन शर्मा
जान गया जब मैं ...
जान गया जब मैं ...
Praveen Bhardwaj
खाने पुराने
खाने पुराने
Sanjay ' शून्य'
ये रुपए कमाने में लोग इस कदर मशरूफ हो गए है।
ये रुपए कमाने में लोग इस कदर मशरूफ हो गए है।
Rj Anand Prajapati
ईद मुबारक सबको
ईद मुबारक सबको
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
बनारस की धारों में बसी एक ख़ुशबू है,
बनारस की धारों में बसी एक ख़ुशबू है,
Sahil Ahmad
जीवन के उलझे तार न सुलझाता कोई,
जीवन के उलझे तार न सुलझाता कोई,
Priya princess panwar
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
अभिव्यक्ति के समुद्र में, मौत का सफर चल रहा है
अभिव्यक्ति के समुद्र में, मौत का सफर चल रहा है
प्रेमदास वसु सुरेखा
राजनीति में सच का अभाव है
राजनीति में सच का अभाव है
Krishan Singh
Loading...