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23 Dec 2016 · 1 min read

संसार है ये परिवार

संसार है एक परिवार

अपना तो ये सारा ही संसार है एक परिवार
क्या हिन्दू और क्या मुस्लिम हमें है सबसे प्यार
आओ मिलकर सभी सजाएँ दुनियाँ की तस्वीर
संप्रदाय और भेद भाव सब बातें हैं बेकार

क्या दुनियाँ में खून के रिश्ते ही सच्चे रिश्ते हैं
प्रेम के हाथों हम सारे ही ,बिना मोल बिकते हैं
खून भले ही बहे किसी का , दर्द हमें होता है
किसी गैर खातिर भी हम अक्सर मर मिटते हैं

मीलों दूर कहीं भी जब भी ज़ुल्म कभी होते हैं
भावनाओं में बहकर उनके , संग सभी रोते हैं
मानवता से बड़ा नहीं इस धरा पे कोई रिश्ता
फिर भी जाने क्यूँ हम रिश्तों में काँटे बोते हैं

सुन्दर सिंह
22.12.2016

Language: Hindi
300 Views
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