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8 Jul 2020 · 1 min read

संसार-सागर।

जीवन एक चढ़ाई है,
क्या ख़ूब लगते हैं इस के नज़ारे,

सुख-दुख हैं एक घटा बादल की ,
दोनों ही हैं ये साथी हमारे,

मुश्किलों में भी मुस्कुराते हुए,
हर कोई अपना जीवन सवांरे,

हर पल जो आस हो उजाले की,
तो कब तक रहेंगे घोर अंधियारे,

सख़्त बड़े इस वक्त से डर के,
कैसे कोई जीवन से हारे,

जीवन-पथ पे डगमगाता मुसाफिर,
चला जा रहा है उम्मीदों के सहारे,

एक कण रोशनी की राह में,
हर कोई अपनी आंखें पसारे,

संसार-सागर में डोलती कश्ती,
ढूंढा करती है अपने किनारे,

कभी चुभती हैं बातें किसी की,
कभी पराए लगते हैं अपने ही प्यारे,

दिल में उनके भी विश्वास है बसा,
बातें कड़वी जो करते हैं सारे।

कवि-अंबर श्रीवास्तव।

Language: Hindi
3 Likes · 6 Comments · 498 Views
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