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5 May 2024 · 1 min read

संवेदना

जैसे सागर के लहरों का,
ना कोई अंत है।
वैसे ही इस संवेदना का,
ना कोई थाह है।

इसमें दया है, करुणा है,
प्रेम है, ममता है।
इसमें बलिदान है, त्याग है,
इसमें सब कुछ ही समाहित है।

जो इसे पा लेता है,
वह सदा के लिए धन्य है।

– सुमन मीना (अदिति)
लेखिका एवं साहित्यकार

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