संवेदना
मन भरा भरा हो जाता है
जब तुझको कोई समझ न पाता है
हूँ इंसान की नस्ल मैं भी
क्यूँ मशीनों में आँका जाता है
नहीं बोलती कुछ तो क्या
मुझमें बची संवेदना
किसी गलत व्यवहार पर
क्या हुई मुझे वेदना नहीं
हर आँसू के कतरे में
छलक गया मन का उद्गार
अंतर छलनी हो जाता है
जब होता है दुर्व्यवहार