संवेदना ही सौन्दर्य है
संवेदनाऐं ही मनुष्य जाति का वास्तविक सौन्दर्य है।
संवेदनाऐं मन के कोमल भाव हैं।
संवेदनाऐं मनुष्य मन का सौन्दर्य है
संवेदनाओं से मनुष्य..मनुष्यता को प्राप्त करता है..
संवेदनाऐं ही मनुष्य का वास्तविक स्वरूप है।
संवेदनाऐं ही इस संसार को सुन्दर बनाती हैं… दया, प्रेम, करूणा का पाठ पढाती हैं।
संवेदना विहीन मनुष्य पशु समान है..
संवेदना ना हो तो दुनिया में जंगल राज बढ जायेगा..मनुष्यता काअंत हो जायेगा..
मनुष्य ही मनुष्य का भक्षण कर जायेगा।।
संवेदनाओं का जीवंत रहना अति आवश्यक है…
संवेदनाऐं ही मनुष्य जीवन का मनुष्य मन का वास्तविक सौन्दर्य है।।