बोलती आंखें🙏
संवेदना की बोलतीआंखें🙏
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भरी रसीली लाल रंजीत सी
सागर सी आंखे संवेदना की
आस अरमान से निहार रही
लम्हा लम्हा तनहा गुजारती
निज वेदना खुद समझाती
संवेदन पास नहीं आता है
चेतन हीन संवेदन विहीन
जन निर्जन में ताक रहा है
ताकत दम्भ से घूम रहा है
दुःख सुख संवेदना के साथी
आस संभावना आहें भरती
हर्ष विषाद में लम्हें गुजारती
मन मंदिर की आँखे प्रतिपल
टक टक बोलती घड़ी देखती
पल पल टन टन घंटी बजती
संवेदन काल चक्र समझाती
मूक-बधिर जन तन देखता है
बैठ अकेलाहोनी अनहोनी का
स्वयं से बातें कर काल गणना
करता है प्रतिपल भाव भावना
प्रेम प्यार तनहा मूक संवेदना
विरह मिलन याद दिलाता है
लाल अम्बर में तारे सी पुतली
फिरकी बन बातें करती आंखों
अर्द्ध सत्य है सच बिना अधूरा
चेतनहीन संवेदन विहीन हो
भागोगे कितना औरों को रुलाया
और हँसाया है जग में जितना
सपने तेरी काया माया तेरी वो
सुहानी रातें निशा उषा है तेरी
समझ संवेदना जीवन है तेरी
तेरी मेरी की जग में तू अकेली
दर्द चुभन जीवन पथ है संगीन
तेरा कौन करता पथ निर्देशन
मैं तेरा तू मेरा कोई नहीं यहाँ है
कर्म प्रधान जगत में स्नेह प्रेम
धर्म कर्म सत्य संवेदना है तेरा
वेंदना तनहा आँख मिचौली
छुपम छुपाई खेल खिलाड़ी
संग सहेली बल की लाड़ली
पथ निर्देशक साथ निभाने
शून्य क्षितिज पर की राही
धारणा जागरूकताअनुभूति
मन संवेदना ही प्यार जीवन का ।
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तारकेशवर प्रसाद तरूण