संवेदना घर
सत्य, नायक वही जो नव चेतना भर |
राष्ट्र को उत्थान दे, जन-वेदना हर|
छिपा है आनंद, निज की आतमा में|
मन स्वयं ही जाग बन,संवेदना-घर|
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता
सत्य, नायक वही जो नव चेतना भर |
राष्ट्र को उत्थान दे, जन-वेदना हर|
छिपा है आनंद, निज की आतमा में|
मन स्वयं ही जाग बन,संवेदना-घर|
बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता