संवेदना(कलम की दुनिया)
🍀🍀पेन,पेंसिल🍀🍀
यूँ कहो एक कलम हूँ।
है मेरी अपनी एक नयी दुनिया
जिसने महान जन के कार्यों
को शब्दों की कहानी
की गति से गढ़ा
वीरों जैसी महान बलदानी संवेदना
को संसार में पहुँचाया
वेज्ञानिक जैसी खोजों से
भारत को आत्मनिर्भर बनाया
शब्दों से लिखी
धुन में छिपी संवेदना को
संगीत की दुनिया
से रूबरू कराया
कलाकारों की कला को
मंच की दुनिया तक
है पहुँचाया
महान चित्रकारों की
कलाकारी को ,
देश-विदेश के आजूबे
से अवगत है कराया
पेन,पेंसिल
यूँ कहो एक कलम हूँ।
जिसने सभी की छिपी
संवेदना को इस जगत
से है मिलवाया।।
स्वरचित एवं मौलिक-डॉ. वैशाली वर्मा✍🏻😇