संविधान
भारत का संविधान
घनाक्षरी छंद ,उपमा अलंकार
महीने में एक बार मिलने के क्षण तेरे,
सरकारी, कार्ड के राशन जैसे लगते।
आते पग शपथ ग्रहण जैसे लगते हैं,
जाते पग पद निष्कासन से लगते।
लंबे केश नेता केआश्वासन से लगते है
तेरे कड़े कुच अनुशासन से लगते।
कमर के एकएक बल हिचकोला खाते,
देश के लचीले संविधान जैसे लगते।