संविधान बचाना है
हम स्वाधीन हुए, हमारा नया संविधान बना
भारत देश हमारा सदियों बाद स्वतंत्र बना
हम संप्रभु हुए, जन जन का लोकतंत्र बना
आत्मर्पित -अंगीकार कर, सम्मान करते हैं।
हमारा संविधान हमारा जीवन है
जन जन का प्यारा नवजीवन है।
इसकी मंशा हमारा संजीवन है
इसकी रक्षा की प्रतिज्ञा हम करते है।
इस संविधान को बचाना है
इसे सुरक्षित सर्वदा रखना है
यह हमारा नैतिक कर्तव्य है
यही हमारा परम पावन ध्येय है।
जब भी निर्वाचन आता है
संविधान बचाने की मुहिम
कुछ ज्यादा तेज हो जाता है
कोई बताएं जरा, ऐसा क्यों होता है?
पक्ष हो या कि हो प्रतिपक्ष
दोनों एक ही बात कहता है
यह कह कहकर सहजता से
दोनों को ही मत मिल जाता है।
कोई भी शासक यहां शासन करता हो
संविधान का प्रारूप नहीं बदल सकता है
वक्त- जरूरत संशोधन तो कर सकता है
“संविधान बचाना है,” जुमला -सा लगता है।
*****************************
स्वरचित: घनश्याम पोद्दार
मुंगेर