संयुक्त परिवार
परिवार की परिभाषा धीरे धीरे क्यों बदल रही हैं।
क्यों महल दुमहलों की सीमाएं अब सिमट रही हैं।।
पहले परिवार में सब मिलजुलकर घर में ही रहते थे।
जिसे गर्व से हम अपना संयुक्त परिवार सबसे कहते थे।।
दादादादी,ताऊताई,चाचाचाची बच्चे यहाँ सब मिलकर रहते थे।
हर अच्छे बुरे घटनाक्रम को भी सब मिलजुलकर सहते थे।।
दादू आंगन में बिठाकर सबको अपनी जवानी के किस्से कहते थे।
और फिर दादी खांस खांस कर दादू को चिड़ाते ही रहते थे।।
मिलबैठकर रात को जब सारे के सारे गप्पें मारा करते थे।
बच्चों के सामने बड़े भी खेल खेल में आसानी से हारा करते थे।।
माँ का प्यार बाबा की डांट दादादादी के लाड़ सभी को कम पड़ते थे।
ताऊ चाचा चाची या बुआ के गिफ्ट हमेशा सबको कम पड़ते थे।।
कहे विजय बिजनौरी अब परिवार ऐसे कहीं भी नहीं मिल पाते हैं।
देखते देखते महलों के आंगन से निकल कमरों में सिमट जाते हैं।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।