संप्रेषण
बादल यदि स्वयं को न बहाये
तो सूर्य की रोश्नी को ढक ले
सम्प्रेषण जरूरी है
स्नायु का मस्तिष्क से
प्रकृति का प्रकृति से
मनुष्य का स्सवयं से
यदि यह न हो
तो सब रूक जाए
सम्प्रेशण ही अगला क़दम है ।
शशि महाजन – लेखिका
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बादल यदि स्वयं को न बहाये
तो सूर्य की रोश्नी को ढक ले
सम्प्रेषण जरूरी है
स्नायु का मस्तिष्क से
प्रकृति का प्रकृति से
मनुष्य का स्सवयं से
यदि यह न हो
तो सब रूक जाए
सम्प्रेशण ही अगला क़दम है ।
शशि महाजन – लेखिका
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