संत रविदास
संत रविदास
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रैदास के चरणों में मन को ,
भक्तिपद सागर मिलता है ।
ऊंच नीच का भेद मिट जाता ,
मानुष से मानुष जुटता है…
हिन्दू हो या सिक्ख सनातन ,
सबके दिल में वो बसता है ।
गुरुग्रंथ साहिब मीरा के पद में ,
प्रभु मूरत और छवि दिखता है…
काशी की गलियों से नित्य दिन ,
रैदास नाम का अमृत झरता है ।
दूर भगति अभिभानी जन को ,
बड़े भाग्य से विरक्ति मिलता है ।
निज अभिमान तजकर जिसने भी ,
प्रेमभाव नित्य प्रभु को भजता है ।
कहै रैदास,घर उसके प्रभु आते हैं ,
कठौती में भी गंगा दिखता है…
मौलिक और स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – ०५ /०२ /२०२३
माघ,शुक्ल पक्ष ,पूर्णिमा ,रविवार
विक्रम संवत २०७९
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