संतान
बस एक कदम तुम चलो
और चलूॅं एक कदम मैं भी
फिर दोनों मिलकर साथ चलेंगे
तब कदम हमारे आगे बढ़ेंगे
साथ मिलकर चलना ही तो
जीवन का एक अभिन्न अंग है
पथ में बाधाएं नहीं आएगी
जब तक तुम्हारा संग है
पर हमारे बच्चों ने हमारा
अब यह क्या कर दिया
उसने अपनी इच्छा से हमें
एक दूसरे से अलग कर दिया
अब कदम के ताल में ताल
मिलाकर चलने का सरगम कहाॅं
हमें अलग कर बदल दिया है
इसने हम दोनों का जहाॅं
पर इतनी चिंता मत करो
बच्चे हमें अधिक दिन नहीं रखेंगे
बहुत जल्दी ही हमें फिर से वे
एक दूसरे के हवाले ही करेंगे
जहाॅं तब हम और तुम होंगे
और वृद्ध आश्रम का कमरा होगा
हमें एक दूसरे से अलग करने को
फिर कहाॅं कोई तीसरा होगा
जिसके लिए दिन का क्या कहना
बर्बाद किया है हमने रातें भी अपनी
आज जब हमें उनकी जरूरत थी
तो बता दिया औकात ही अपनी