संघर्ष
संघर्ष
जब जब जीवन में संघर्ष तुम्हारे आया,
संग अपने वह कठोर संकेत यह लाया।
जिसने जमकर किया सामना संघर्षों का,
उसने ही तो अपना अंतिम लक्ष है पाया।।
विजय पताका चला जो लेकर लक्ष की
ओर,
उसने राह के हर काँटे को दूर भगाया।
जो संघर्ष को अंतिम लक्ष्य तक ले लाया,
जीवन में विजय के स्वाद को वो चख पाया।।
परिस्थितियों ने संकट किए जो पैदा,
हर संकट को संघर्ष से जिसने भगाया।
परिस्थियाँ देखो ख़राब हों चाहे जितनी,
करके सामना स्वाद विजय का उसने पाया।।
जब चले नदी तो पर्वत को हटना पड़ता है
यदि नहीं तो फिर उसको भी तो कटना पड़ता है।
जब पानी धीरे धीरे पर्वत को काट है देता
तब नदी के रास्ते से उसको हटना पड़ता है।।
कहे विजय बिजनौरी सबसे हाथ जोड़कर
परिस्थिति और बाधाएँ तुमको क्या रोकेंगीं।
गिरकर संभलकर मारकर ठोकर हर संकट को,
तुम सीने में ख़ंजर हर दुश्मन के भौंकेंगी।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।