संघर्ष
संघर्ष एक ऐसा शब्द जो हमारे जीवन का अटूट हिस्सा है, जिसके अभाव में जीवन की कल्पना मात्र भी वर्जित है, लेकिन फिर भी हम इससे दूर भागते हैं।
संघर्ष के नाम से भी हमें डर लगता है। जबकि संघर्ष के अभाव में हमारे प्रगति का मार्ग अवरूद्ध हो जाता है। इसका हाथ थामकर ही हमें जीवन का साथ मिल सकता है। जब व्यक्ति संघर्ष करता है तब उसके व्यक्तित्व में निखार आता है। जैसे जब कोई व्यक्ति परेशानी में हो और उसकी सहायता के लिए कोई न हो तब उसके मस्तिष्क पर दबाव पड़ेगा और नये -नये समाधान उसे स्वयं सूझते है और यही से उसके व्यक्तित्व में बदलाव होने शुरू हो जाते हैं, जैसे बीज पर अगर मिट्टी न डाली जाए,उस पर दबाव न डाला जाए तो वह अंकुरित नहीं होगा, वैसे ही अगर हम पर संघर्षो का दबाव न डाला जाए तो हमारा अंकुरण , हमारा सृजन रुक जाएगा। जो भी प्रतिभाएं विकसित हुई है वो संघर्षो के बीच ही विकसित हुई है। जितने भी महान पुरुष हुए सभी ने संघर्षो के बीच जीवन बिता कर ही अपना नाम विश्वपटल पर अंकित किया है। अगर आप नित्य नई ऊंचाईयों को छूना चाहते हो तो आपको स्वयं को घिसना पड़ेगा, संघर्ष करना पड़ेगा तभी आपकी आंतरिक शक्ति बाहर निखर कर आएंगी और आपके व्यक्तित्व में चार चांद लगाएंगी।
।।रुचि दूबे।।