स्पर्धा भरी हयात
इस हयात में हमें बार बार
करना पड़ता आत्मश्लाघा
संघर्ष के तत्पश्चात ही हमें
मिलती ये धान्य ए-जिदगी ।
संघर्ष से हमें कभी भव में
सकुचाना न चाहिए यदा
इन्हीं में तो हम सबों को
होती अपनों की द्योतक ।
अपने इस ऐश्वर्या जीवन में
तप – ए – तपस्या पर किया,
करता है जो परिपूर्ण जागीर
उसका जीवन होता कामयाब ।
जीवन में अगर स्पर्धा न होती
जिंदगी हमारी मुर्दे जैसे होती
हयात में मिलती पराभव अनेक
संघर्ष के उपरांत मिलती मंजिल ।
अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार