संघर्ष फ़तह खुद से
चाहते हैं जहाँ सारा
पर देखते
ज़मीं से हैं
आसमाँ में उड़ना है
और महफ़ूज
रहने की ज़िद्द है ।
समुन्दर में तैरना है
तो डूबना ही होगा
खारे पानी से
गला तर करना ही होगा
तभी मोती मिलेगा
और रहस्य समंदर
का खुलेगा ।
किनारों पर
कंकड़ है
और जमीं पर गड्ढे
हवा में धूल है
मोती के लिए
शान्ति के लिए
गहराई में उतरना ही
होगा ।
बेपरवाह होकर
मन से
बेमुरव्वत होकर
तन से
छोड़ ख़याल
दुनियावी का
इश्क़ फ़तह खुद से
संघर्ष करना ही
होगा ।