संग्राम
सिंगर चले सँवर चले ।
माथे बाँध कफ़न चले ।
मातृ भूमि के रण बाँके ,
युद्ध समर संग्राम चले ।
विश्व शांति के रक्षक ।
सर्वजन हिताय के पक्षक ।
विश्व शांति की खातिर ,
काँधे संगीन तान चले ।
ले हाथों में जान चले ।
युद्ध समर संग्राम चले ।
…. विवेक ….