संगीत की आत्मा खो गई …
संगीत को महसूस करने की जो ,
तबियत लोगों में थी कभी ।
वोह अब रह ना गई।
इसीलिए संगीत की समझ भी ,
लोगों में न रह गई।
तभी तो स्तर गिर गया ,
जो बात ,जो रूहानियत होती थी संगीत में ,
वोह अब रह ना गई ।
अब तो बस शोर है ,वाहियात लफ्जों का भंडार ,
शायरी ,गजल और कविता तो इसमें ,
रह ना गई ।
इसीलिए हम तो जीते है अब भी पुरानी मधुर
संगीतमयी यादों के संग ,
आज के इस नए चलन में हमारी ,
दिलचस्पी रह ना गई ।