संगम का छात्र जीवन
हे मृत्युंजय हे दुःखभंजन , कष्ट निवारो आय ।
ये तो मोदी की सरकार हमसे बनवाएगी चाय ।
छोटे से कमरे में जीवन डिब्बा समझ बिताते ।
सबसे सस्ती सब्जी लाकर खूब सिटी बजवाते ।
विनती करता कुकर अब तो भइया दो नहलाय ।
ये तो मोदी की सरकार ………
गैस सिलिण्डर ताने देता हमको मुँह चिढ़ाता ।
खाली हो जब बटुआ अपना एलपीजी मुस्काता ।
बेलन चौके कहते दो अपना भी मिलन कराय ।
ये तो मोदी की सरकार ………
कुकर की तहरी से अपना वर्षों का है नाता ।
उल्लू बन रातों को जगते नींद भोर का भाता ।
सारी दुनिया जब सोती हम मच्छर रहे भगाय ।
ये तो मोदी की सरकार ………
आँखों में अपने भी देखो सिमटा एक समन्दर ।
सिंहासन का शोषण सहता रण में एक धुरन्धर ।
अब उम्र किरायेदारी वाली हम तो रहे बिताय ।
ये तो मोदी की सरकार ………
✍ धीरेन्द्र पांचाल