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1 Sep 2017 · 1 min read

संकट और तरबूज़

तरबूज़ से हम;
संकटों के चाकुओं से
लोहा लेते बार बार..
परिस्थितियों की अलग-अलग
धारों से लहूलुहान होते,
बार बार

प्रजातीय सोच के उसी
नक़्शे कदम पर कि,
तरबूज़ चाकू पर
या चाकू तरबूज़ पर गिरे
नुकसान सिर्फ तरबूज़ का हैं.

– नीरज चौहान

Language: Hindi
224 Views
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