सँघर्ष तो ज़िन्दगी भर चलता ही रहेगा
सँघर्ष तो ज़िन्दगी भर चलता ही रहेगा
कौन कहता है ये अखरता रहेगा
हार जाएंगे चुनौती देने वाले भी
जब कभी भी पत्थर बाहर तरस के निकेलगा
सब यहाँ धैर्य का खेल है
जो जितनी देर टिक पाया है
वो उतना ही सवंर के निकेलगा
थोड़ी सी कठिनाई होगी राह में
उसके बाद फल मीठा ही निकेलगा
हार मान जाते है लोग अक्सर
मंज़िल करीब होने पर
बादल को चीर कर
आफ़ताब आज नही तो कल
जरूर ही निकेलगा
झड़ जाते है पत्ते भी दरख्तों के
नयी कलियों के साथ एक बार
और दरख़्त खिलकर निकेलगा
ज़िन्दगी एक बार और खिलखिलायेगी
संघर्ष के बाद जब हीरा बन निकेलगा।
ये तो खेल है जिंदगी का
संघर्ष तो जीवनपर्यन्त चलता ही रहेगा
भूपेंद्र रावत
27।09।2017