श्वेत कबूतर बहुत उड़ाए
श्वेत कबूतर बहुत उड़ाये,अब कुछ अलग उड़ाना है।
दुनिया के ठेकेदारों को ,कुछ करके दिखलाना है।
माना हम उद्दंड नहीं पर,कायर भी तो सोच नहीं,
छुरी पीठ में भौंक रहा जो,उसको सबक सिखाना है।
खतरा दुश्मन से कम है पर,खतरा भीतर घाती से,
घर में बैठे गद्दारों का ,परदा आज हटाना है।
हम अपनी पर आये हैं अब,घर में घुसकर मारेंगे,
जिन्ना की संतानों को अब,असली रूप दिखाना है।
यह तो बस आगाज़ महज़ है,असली खेल अभी बाकी,
दुनिया के ही मानचित्र से, पाकिस्तान हटाना है।