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14 Feb 2023 · 1 min read

श्वास बिकते नहीं

श्वांस बिकते नहीं
*************
इंसान कितना नादान है
जो श्वांस को भी खरीदने का दंभ भरता है
फिर खुद में ही कुढ़ता है,
पर तनिक भी नहीं समझता है।
कितने भ्रम में डूबा है
जो हर चीज को खरीदने की नियत रखता है
पर अपनी औकात नहीं समझता।
जिस दिन औकात का ज्ञान हो जाता है
सारा मोल भाव भूल जाता है
क्योंकि तब इंसान हार जाता है
सब कुछ यहीं छोड़
दुनिया से विदा हो जाता है।
पर हाय रे इंसान
देखता सुनता तो है पर समझता नहीं है
या समझना ही नहीं चाहता,
और फड़फड़ाता रहता है
दिन में तारे और जागते हुए सपने देखता है
श्वास बिकते नहीं
फिर भी खरीदने की हजार कोशिशें करता है
पर बेचारा हार जाता है।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
८११५२८५८२१
© मौलिक स्वरचित

Language: Hindi
1 Like · 116 Views
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