श्रेष्ठ भावना
श्रेष्ठ भावना
अपनी सदैव श्रेष्ठ भावना समझना,
हमेशा दुनिया का ज्ञानी समझना,
यही से उसका विकास रुकता हैं ,
यही से उसका विनाश होता हैं,
यही प्रकृति का नियम हैं ।
श्रेष्ठ भावना
अपनी सदैव श्रेष्ठ भावना समझना,
हमेशा दुनिया का ज्ञानी समझना,
यही से उसका विकास रुकता हैं ,
यही से उसका विनाश होता हैं,
यही प्रकृति का नियम हैं ।