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11 Dec 2021 · 1 min read

श्री हरि

श्री हरि

हे हरि हे लक्ष्मी प्रिय
करवद्ध नमन करो स्वीकार लोचन प्यासेदरस तिहारे
है नैन पटल के खुले द्वार ।

मैं अज्ञानी मूढ़ मति
अति दूर प्रभु तेरा धाम
कौन वाहन जाता तेरी नगरी?
क्या भाड़ा,क्या होता दाम?

न नाता न रिश्ता जग में
स्वार्थी रिश्ते नाते हजार
संकट पड़े सब मुख मोड़े
निर्दयी,दुःखदायी है संसार ।

जब-जब संकट पड़ा भक्तों पर
हरि आए तब गरुड़ सवार
मैं भी उस पंक्ति से पुकारुं
कब आओगे प्रभु अबकी बार ।

हाथ पकड़ प्रभु मुझ को सम्भालो
करो कृपा हरि कृपानिधान
हे कृपामय करुणा के सागर
भवतारण का करो विधान ।

ललिता कश्यप सायर डोभा
जिला बिलासपुर ( हि0 प्र0)

Language: Hindi
226 Views
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