श्री राम
चौपाई
श्री राम
सुर नर मुनि सब करे विश्वास।
उजड़ा तिमिर छाए प्रकाश।
करने काज सकल परमार्थ।
अवधपुर में जन्मे रघुनाथ ।।
त्याग राज पद भय बनवासी।
घोर अवध में छाई उदासी।।
लक्ष्मण लिए चले रघुराई।
संग सहचरी सीता माई ।।
श्रीराम छवि वरणी न जाए।
अति सोम्य, श्याम रूप सुहाए।।
विप्र भेष है भुजबल भारी।
नीरज नैन महा धनुधारी।।
दैत्य दलन सब चुनचुन मारे।
ऋषियों के तुम काम उवारे।।
मृदुल हृदय पाए रघुनाथा।
भगत युगों तक गावे गाथा।।
दुष्ट सकल गिन- गिन के मारे।
भक्तों के दुख आप उभारे।।
जगत के सदा हुए सहाई।
निस-दिन हरते पीड़ पराई ।।
प्रेम विश्वास अति मन उपजा।
प्रीत भरत की है सम पूजा।।
ले खड़ाऊं चले सिरु नाई।
रुदन करें मन में रघुराई ।।
बहुत प्रेम उपजा हनुमाना।
सम भाई उर अंतर जाना।।
दास बने सब रीत निभाई।
लंका जारी अनल लगाई ।।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर (हि० प्र०)