श्री प्रभु के चरणों में आकर
श्री प्रभु के चरणों में आकर, वो सारे सुख तू पायेगा
जिसकी कल्पना न की हो तुमने , वो मोक्ष राह तू पायेगा
श्री गोविन्द के चरणों में, तू शीश जो झुकाएगा
सत्य की राह तेरे जीवन का, उद्देश्य हो जाएगा
भक्ति की राह को अपना ले तू , असीम आनंद पायेगा
अंतर्मन से हो जाएगा पावन , प्रभु का प्यारा बन जाएगा
करके अपना सर्वस्व समर्पण , बंधन मुक्त हो जाएगा
चाह नहीं तुझको माया मोह की , आध्यात्म राह बढ़ जायेगा
तू कान्हा का और कान्हा तेरे , यह भाव तुझमे जाग जाएगा
पावन मन , पावन तन तेरा , भक्ति में लीन हो जाएगा
क्या है तेरा, क्या है मेरा , यह भाव मुक्त हो जाएगा
मानव में जो ढूंढेगा प्रभु को , प्रभुमय ये जग हो जाएगा
चाहतों का समंदर जो करेगा रोशन , माया मोह में पड़ जाएगा
चलेगा जो आध्यात्म की राह , तो मोक्ष मार्ग पर बढ़ जाएगा
हम प्रभु के प्रभु हमारे , यह भाव मन में जो जाग जाएगा
तू प्रभु के मन में और प्रभु , तेरे मन में बस जाएगा
श्री प्रभु के चरणों में आकर, वो सारे सुख तू पायेगा
जिसकी कल्पना न की हो तुमने , वो मोक्ष राह तू पायेगा
श्री गोविन्द के चरणों में तू शीश जो झुकाएगा
सत्य की राह तेरे जीवन का उद्देश्य हो जाएगा