Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Oct 2021 · 1 min read

“श्री चरणों में तेरे नमन, हे पिता स्वीकार हो”

तुम कृष्ण से मेरे सारथी, अर्जुन सा तेरा पार्थ मैं
जो पथ प्रसस्थ तुमने किया, उस पर चलूं निस्वार्थ मैं
जिज्ञासा वश उत्पन्न हुए गर, मस्तिष्क मेरे प्रश्न जो
उत्तर सभी का आप हो, जिसमें निहित परमार्थ हैं

सब सीख तुम से सीख कर, देखा विकट संसार को
श्री चरणों में तेरे नमन, हे पिता स्वीकार हो।

बचपन से मैं नादान हूं , प्रतिबिंब हूं अज्ञान का
थाम कर उंगली तेरी , मैं बन गया विद्वान सा
कांधे पर तेरे बैठ कर, कई शीर्ष बिंदु छू लिए
श्रेष्ठ सारा ज्ञान जो तुम से मिला वरदान सा

गुरुओं में मेरे श्रेष्ठ तुम , विद्या का मेरी सार हो
श्री चरणों में तेरे नमन, हे पिता स्वीकार हो।

कुमार अखिलेश
देहरादून (उत्तराखंड)
मोबाइल नंबर 09627547054

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 258 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पुरुष जितने जोर से
पुरुष जितने जोर से "हँस" सकता है उतने जोर से "रो" नहीं सकता
पूर्वार्थ
कोशिश
कोशिश
विजय कुमार अग्रवाल
*सभी कर्मों का अच्छा फल, नजर फौरन नहीं आता (हिंदी गजल)*
*सभी कर्मों का अच्छा फल, नजर फौरन नहीं आता (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
चाल समय के अश्व की,
चाल समय के अश्व की,
sushil sarna
अनर्गल गीत नहीं गाती हूं!
अनर्गल गीत नहीं गाती हूं!
Mukta Rashmi
ये बेजुबान हैं
ये बेजुबान हैं
Sonam Puneet Dubey
तेरी मासूमियत देखकर
तेरी मासूमियत देखकर
Dr.sima
शिद्दतों   का    ख़ुमार    है   शायद,
शिद्दतों का ख़ुमार है शायद,
Dr fauzia Naseem shad
#धर्मराज 'युधिष्ठिर' का जीवन चरित्र
#धर्मराज 'युधिष्ठिर' का जीवन चरित्र
Radheshyam Khatik
नवगीत : मौन
नवगीत : मौन
Sushila joshi
किताबों की कीमत हीरे जवाहरात से भी ज्यादा हैं क्योंकि जवाहरा
किताबों की कीमत हीरे जवाहरात से भी ज्यादा हैं क्योंकि जवाहरा
Raju Gajbhiye
4611.*पूर्णिका*
4611.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गुलाबों का सौन्दर्य
गुलाबों का सौन्दर्य
Ritu Asooja
यह तुम्हारी नफरत ही दुश्मन है तुम्हारी
यह तुम्हारी नफरत ही दुश्मन है तुम्हारी
gurudeenverma198
अपनी मनमानियां _ कब तक करोगे ।
अपनी मनमानियां _ कब तक करोगे ।
Rajesh vyas
*परिचय*
*परिचय*
Pratibha Pandey
तुम जा चुकी
तुम जा चुकी
Kunal Kanth
स्त्री न देवी है, न दासी है
स्त्री न देवी है, न दासी है
Manju Singh
वो एक शाम
वो एक शाम
हिमांशु Kulshrestha
#सब_त्रिकालदर्शी
#सब_त्रिकालदर्शी
*प्रणय*
तन्हाई बड़ी बातूनी होती है --
तन्हाई बड़ी बातूनी होती है --
Seema Garg
शीर्षक - खामोशी
शीर्षक - खामोशी
Neeraj Agarwal
" आजकल "
Dr. Kishan tandon kranti
"परिश्रम: सोपानतुल्यं भवति
Mukul Koushik
“मौन नहीं कविता रहती है”
“मौन नहीं कविता रहती है”
DrLakshman Jha Parimal
यह कैसा आया ज़माना !!( हास्य व्यंग्य गीत गजल)
यह कैसा आया ज़माना !!( हास्य व्यंग्य गीत गजल)
ओनिका सेतिया 'अनु '
समय के साथ
समय के साथ
Davina Amar Thakral
राहों में खिंची हर लकीर बदल सकती है ।
राहों में खिंची हर लकीर बदल सकती है ।
Phool gufran
शहर में आग लगी है
शहर में आग लगी है
VINOD CHAUHAN
जिसे सपने में देखा था
जिसे सपने में देखा था
Sunny kumar kabira
Loading...