श्री गुरु तेग बहादुर
गुरु हरगोविंद के बेटे थे जो
त्यागा मल था नाम
आओ सुनाऊं कथा उनकी
सिखों की जो थे शान |
निडर, वीर और साहसी वह
आध्यात्मिक रुचि के थे
गैर मुस्लिमों के रक्षक बनकर
वे मैदान- ए -जंग में उतरे |
नाम पड़ा तेग बहादुर
जब औरंगजेब को धूल चटाई
से मात्र 14 वर्ष के तब
जब मुगलों को उनकी नानी याद आई|
तमाम कोशिशों के बाद भी
मुगलों को जीत ना मिल पाई
सभी जुल्मों को सहन करके भी
अपने धर्म से की वफाई |
शीश कटा सकते हैं केस नहीं
जब औरंगजेब को यह बात बताई
8 दिनों के बाद फिर
चांदनी चौक पर गुरु जी ने शहीदी पाई |
मरते दम तक जिसने
नाक नहीं कटवाई
उसके बाद उन्होंने
‘ हिंद की चादर’ की प्रसिद्धि पाई |
सिखों के नौवें गुरु थे जो
मैंने उनकी कथा सुनाई
शीशगंज साहब गुरुद्वारा है जिनका
यह थे हिंदुस्तान के वह वीर सिपाही|