“” *श्रीमद्भगवद्गीता* “”
“” श्रीमद्भगवद्गीता “”
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( 1 )” श्री “, श्रीहरि
के मुखारबिंद से
है निसृत ये श्रीमद्भगवद्गीता !
ये ज्ञान है बड़ा ही अनमोल….,
इस महाग्रंथके वेदव्यासजी हैं रचियता !!
( 2 )” म “, माधव
श्रीकृष्ण योगेश्वर
बनें हैं इसके सूत्रधार !
श्रीअर्जुन को देकर दिव्यज्ञान का उपदेश..,
किया समस्त प्राणियों का जीवन उद्धार !!
( 3 )” द् “, द्वार
खोल के अंतस के
बढ़ाएं कदम सदमार्ग की ओर !
ये चले दूर करती मन की अकर्मण्यता.,
और गीता खिलाए जीवन की हरेक भोर !!
( 4 )” भ “, भगवान
के सुनके अमृतवचन
धन्य होए चले ये जीवन !
जिसने उतार ली जीवन में गीता……,
उसके दूर हों चलें सभी भ्रम और वहम !!
( 5 )” ग “, गहन
ज्ञान की गंगा
चले करते उद्घाटित रहस्यों को गीता !
इसमें जिसने मार ली एकबार डुबकी..,
वह चले पाए जीवन की सार्थकता !!
( 6 )” व “, वरदहस्त
है जिसपे श्रीवासुदेवका
वही पा सकता है ये दिव्यज्ञान !
जन्म-जन्मों के कट जाएं बंधन….,
चले गीता करती सबका यहाँ पे कल्याण !!
( 7 )” द् “, द्वारिकाधीश
योगेशं श्रीकृष्ण का
पाया है जिसने यहाँ पे वाणीप्रसाद !
उसका जीवन हो गया पूर्ण रूपान्तरित.,
और मिट गए उसके सारे दुःख अवसाद !!
( 8 )” गी “, गीत
महाकाव्य है ये सुगीता
चले सुलझाए जीवन के सारे रहस्य !
आओ पढ़ें पढ़ाएं उतारें जीवन में गीता..,
जीवन में होता चलेगा श्रीप्रभु का प्राकट्य !!
( 9 )” ता “, तादात्म्य
गीता के संग-साथ
बन जाए जिसका भी एकबार !
चलें उसपे बरसाएं श्रीहरि शुभाशीर्वाद……,
फिर मिले उसे आनंद ही आनंद अपार !!
( 10 )” श्रीमद्भगवद्गीता “, श्रीमद्भगवद्गीता को
आओ चलें जीवन में हम उतारें !
ये बदले जीवन का चिंतन मनन…..,
बनाए चले जीवन को धन्य हमारे !!
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सुनीलानंद
गुरुवार,
09 मई , 2024
जयपुर,
राजस्थान |