श्राद्ध व आज का आचरण
श्राद्ध व आज का आचरण
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जीवित मात पिता से,करे दंगम दंगा,
मरने के बाद ले जाये,उनको वे गंगा।
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जीते जी तुमने करी है उनसे अदावत,
मरने के बाद करते है उनका कनागत।
श्राद्ध पर विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाए,
जीते जी ये व्यंजन कभी न उन्हें खिलाए।
पंडित जी को वो सब कुछ खिलाया,
जिसके लिए मात पिता को तरसाया।
जीते जी किया था उनका अपमान,
मरने के बाद करते हो उनका सम्मान।
जीते जी उनको न भर पेट भोजन कराया,
मरने के बाद कौवों और कुत्तों को खिलाया।
जीते जी उनको वृद्धाआश्रम पहुंचाया,
मरने के बाद उनको घर में बुलवाया।
जीते जी उनको को पैसों से खूब तरसाया,
मरने के बाद पंडित को हरा नोट थमाया।
देखो भैया,ये कैसा छलावा हो रहा,
मरने के बाद ये सब दिखावा हो रहा।
क्यो बच्चो को इतना भी नही पता,
इसे देख कर होगे,मां बाप भी खपा।
जीते जी मां बाप का किया न सम्मान,
मरने के बाद जो करते है वह सम्मान।
बदल रहा है अब बच्चो का आचरण,
दुःख होता है मुझे इनका करते वर्णन।
अन्त में सभी बच्चों से ये मेरी गुज़ारिश
इन सब बातो की करो न तुम सिफ़ारिश।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम