‘श्रम ही कर्म’
कर्म ही धर्म है। कर्म से बचकर जी कैसे पाओगे? पशु भी कर्म करता है तब भोजन पाता है। सोचो कर्म न होता तो क्या करते । किसी से मेल- मिलाप बात-चीत भी कर्म का ही भाग है।स्वास का आना जाना भी क्रिया ही है अगर ये क्रिया रुक गई तो जीवन समाप्त। भगवान कृष्ण ने भी कर्म को ही प्रधानता दी है। इसलिए कर्म करने में मत पीछे मत हटो । शर्म न कर कर्म करने में।
कर्म कर
कुकर्म न कर
कर्मवीर का
सम्मान कर।
✍ Gn