श्रम दिवस
श्रम दिवस पर श्रम करने वालों को करता नमस्कार ,
जो श्रम पर शर्म करते हैं उनका करता मै तिरस्कार।
श्रम करने वालों की कभी भी नहीं होती जग मे हार,
आलस करने वालों की कभी नहीं होती है नैया पार।।
बीच भंवर में फंस जाते हैं करते रहते है तकरार,
रीत बनी है श्रम करने वालों का होता है सत्कार।
श्रम करने वालों के ही रास्ते खुलते जग में हजार,
जीवन के कठिन डगर पर संभावनाएं बडीअपार।।
श्रम करने से ही बनते हैं मार्क्स और अम्बेडकर ,
विपरीत परिस्थितियों मैं भी बन गए हैं दिनकर ।
झुककर रहना मंजूर नहीं है रहेंगे सदा तनकर ,
श्रम से ही जीत होती है बात रहे सदा मन पर ।।
शत शत नमन उन सबको जिसने किया है श्रम ,
मेहनत करने वालों का नहीं होता यहां कोई धर्म।
मानव होने के नाते मानवता के ही सब करें कर्म ,
जीवन रस मय बनेगा जीवन आनंद से हो भरपूर।।
सतपाल चौहान ।